अंक – 8 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है । शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-8

डूंगर सिंह व जवाहर सिंह सरदार अपने सेनानायक सांवता राम मीणा से बोले कि सांवता राम आप घोड़ों को तो घास डाल दो और सभी ऊंटों पर आसन लगा दो तथा सभी सैनिकों को कह दो कि वह तैयार हो जाएं वे अपने अपने हथियार संभाल ले और घोड़ों और ऊंटों पर सवार होकर घाटवा गांव की तरफ अपने को चलना है जहां घाटा के पास में अंग्रेजों का सामान लादकर व्यापारियों द्वारा ले जाया जा रहा है जिनमें अनाज भरा हुआ है ज्यादातर उन में मूंग की बोरियां हैं,जो ऊंटों पर ले जाई जा रही हैं ।
जो रामगढ़ फतेहपुर सीकर होते हुए अजमेर पहुंचनी हैं इनको बीच रास्ते में हमें इन बोरियों को लूटना है तथा अपनी गरीब जनता जो किसान वर्ग भूखा है उसको बांटना है सावता राम और लोठू जाट ने भेष बदलकर रामगढ़ गांव की रेकी की जिसमें लोठू जाट ने बांस लिया व सांवताराम मीणा ने ढोलक ली तथा वे सीधे रामगढ़ शहर पहुंच गए शहर की सुंदरता देख सावताराम लोठू जाट की आंखें बड़ी बड़ी हवेलियों पर टिक गई और कहा वाह क्या चित्रकला है, कितनी सुंदर वास्तुकला है सेठो का माल ऊंटों, घोड़ों पर बाहर से आता है, कई सेठों का माल बाहर जाता दोनों खेल तमाशा करते-करते एक बड़े सेठ की हवेली के सामने जा पहुंचे सेठ के महल में सोने से बनी पनिहारी एक रानी की मूर्ति भी दिखाई दे पैसे मांगने के बहाने लोठू जाट मुनीमजी के पास गया सेठ मुनीम के बातचीत चल रही थी जो अंग्रेज सरकार को अजमेर भेजे जाने वाले माल को लेकर हो रही थी रामगढ़ में ही विश्राम किया तथा माल अजमेर भेजने की तारीख व राशि की संपूर्ण जानकारी लेकर वापस अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच गए तथा रामगढ़ के सेठों का भेद लेकर सांवताराम अपने साथी डूंगर सिंह के पास पहुंचे तथा सभी बातें बताई गई तथा सभी विद्रोही सरदारों की गुप्त मीटिंग बुलाई गई सांवता राम मीणा के दल ने नसीराबाद छावनी में लूट की मंडावा में धाड़ा मारकर अंग्रेजों की छावनी नसीराबाद को लूटने का इरादा किया और सावता राम मीणा व लोठू जाट को छावनी की खोज खबर लाने के लिए भेजा दोनों व्यक्ति गुजराती नटों का भेष धारण करके छावनी में गए सांवताराम ने वहां की खोज खबर ली और वापस आकर डूगजी को बताया भरी दोपहर में छावनी पर धावा बोल दिया मौके पर खड़े रक्षा सिपाहियों व अंग्रेज अफसरों को मारकर बहुत सा धन माल लूट लिया वहां से बारोटिया माल सामान लेकर पुष्कर जी के घाट पर आ गए और गरीबों चारण भाट और भोपों को खुले हाथ माल लुटा दिया। एक दिन सावता राम ने डूंगजी को उनकी जासूस के रूप में एक सूचना दी कि नसीराबाद छावनी में बड़े टके पैसे हैं उसे लूटना चाहिए।तो शीघ्रता करें बस अपने दल के साथ लेकर चल पड़े । छावनी के सैनिक उनका का सामना नहीं कर सके। सांवताराम के दल की जीत हो गई।सावता राम के तीर बाण ,लोठू की बंदूक के शिकार हो गए और जिनमें कई घायल हो गए इस घटना के बाद अंग्रेजों की शक्ति का मजाक उड़ाया जाने लगा तथा उनकी इज्जत पर कलंक सा लग गया।
सावता राम मीणा बड़े ही क्रोधित स्वभाव के साथ1 दिन जोश में आकर जवाहर सिंह जी को कहते हैं कि यह विदेशी अपना धन माल लूट लूट कर अपने देश को ले जा रहे हैं और इनका कोई प्रतिरोध नहीं कर रहा है हम लोग तलवार को हाथ में रखकर इसे क्यों लजा रहे हैं !फेंक दो इससे अपने नाजुक हाथों में चुड़ला धारण कर लो! इस सुकोमल देह को जनानी कपड़ों से सजा लो!
फिरगियों का अन्याय दिन-ब-दिन बढ़ रहा है ।
उनके अत्याचारों की कोई सीमा नहीं है और न ही हमारी सहनशक्ति का कोई अंत है।
पूरूषवहीन होकर हम सब चुपचाप सहते चले जा रहे हैं कुछ भी शर्म हो तो जहर खा कर मर जाओ!
तालाब में डूब मरो !
या गले में घागरा डालकर पुरुष कहलाने का अधिकार त्याग दो!
कहां गई वह तुम्हारी वीरता !
कहां लुप्त हो गई तुम्हारी वीरता!
शान आत्मसम्मान को भुला कर केवल टुकड़ों के मोहताज हो !
तुम किसी भी बहाने जीना चाहते हो!
धिकार है तुम्हें सरदारों वीरता का!
तुम सच्चाई के मार्ग से भ्रष्ट हो गए हो!
प्रतिष्ठा तुम्हारी मिट्टी में मिल गई है !
नष्ट हो गई है तुम्हारी बुद्धि!
इन विदेशियों को, देश की धरती से बाहर खदेड़ने के लिए केवल युद्ध ही एकमात्र समाधान है !
केसरिया बाना पहन लो !
कमर पर तलवार कस लो !
हाथों में बरछी और कटार थाम लो !
विदेशियों को खदेड़ने के लिए युद्ध होगा !
चंचल घोड़ों पर सवार हो जाओ !
घोड़ों और ऊंटों पर सवार होकर तुम्हें केवल अपने लक्ष्य को ही सामने देखना है !सामने विदेशी हैं सामने युद्ध है पीछे घर की ओर न झांकना और पिछे की ओर एक कदम भी नहीं हटना।चाहे कट कट कर रेत में मिल जाना !पर हार कर लौटने की दुर्भावना को कभी भी अपने मन में मत लाना।
सावता राम जवाहर जी से कहता है कि यह विदेशी हमें क्या गुलाम बनाकर रखेंगे मैं आपको बताऊं यह राजा महाराजा अपने साथ मिल जाए तो अच्छा होता ।परंतु उन्होंने तो औरतों के वेश धारण कर रखे हैं और सभी 1 तरह के ही हो गए हैं क्या सभी ने भांग पी ली।इन विदेशियों को बाहर निकालने के लिए पूरी ताकत लगानी पड़ेगी यदि हिंदू मुसलमान एक हो जाए तो यह अंग्रेज 1 दिन भी भारत में नहीं रूक पाएंगे ।देश की 36 कौमों को समझाना पड़ेगा कि यह फिरंगी आप सभी के दुश्मन हैं यह आपका माल लूट लूट कर सात समुद्र पार अपने देश को ले जा रहे हैं ।आपको जो भी सामान चाहिएगा वह वहीं से खरीदना पड़ेगा !आप सभी देश के जवानों को एक झंडे के नीचे एकत्रित करो ।उसके बाद में जैसे यह समुद्र पार से आए थे उसी तरह वापस पहुंचा देंगे! इसलिए हमें विदेशियों की बड़ी बड़ी छावनियों पर धावा बोलकर उनको लूटना चाहिए! करनाराम मीणा अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते बोलता है कि राजाओं ने तो अपने शरीर पर औरतों के वेश धारण कर लिए हैं ।
सांची बात तो यह है कि राजाओं को तो राज से मोह है और राजसी ठाठ बाट चाहिए उनको फिर अंग्रेजों से क्या मतलब वे तो उनकी छाती पर चढते आ रहे हैं और तो और उनके सामने पलक पांवड़े बिछा रहे हैं बड़े शर्म की बात है!
लगातार—–

लेखक तारा चंद मीणा चीता कंचनपुर श्रीमाधोपुर

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