अंक – 9 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है। शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-9

इतना सुनते ही डूंगजी गुस्से से लाल पीला होकर बोले वे राजा हैं और हम तलवार बंद सैनिक। हम क्या कर सकते हैं डूंगरी का स्वर सुनते ही करना राम मीणा ने जमीन पर थाप मारते हुए और गुस्से में लाल पीले होते हुए कहा ठाकुर साहब उठाओ तलवार!
कमर कस लो दल बना लो तथा अंग्रेजों को लूट कर ,मार काट कर देश के बाहर कर दो ।क्या देखते हो अंग्रेजों की फौज गांव के बाहर आ गई है अपने गढ़ को चारों तरफ से घेर लिया है यदि हम उनके सामने लड़ाई लड़ेंगे तो रोक नहीं पाएंगे क्योंकि उनकी तुलना में अपने पास सैनिक कम हैं अपने तो एक काम करो गढ़ को छोड़ दो और बाहर चलो हम उनकी छावनी को लूटेंगे उनका खजाना लुटेंगे रात दिन जहां पर भी मौका मिलेगा वही उनको तंग करेंगे इनको देश से निकलने पर मजबूर कर देंगे।
सभी साथियों ने करना राम मीणा की बात में हां में हां मिलाई और अंग्रेजों को देश से निकालने की योजना बनाने लगे उसी वक्त कानाराम कहता है कि मुझे सूचना मिली है कि शेखावाटी के काकड़ पर अंग्रेजों की फौज ने ठहराव किया है। उनके घोड़े ऊंट कतारों में माल सभी उनके साथ चल रहे हैं मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि आज की रात अपने दल के साथ अंग्रेजों की छावनी पर एक साथ अपना धावा बोलते हैं और अचानक उनको आभास भी न होने दें उनके घोड़े उनका खजाना उनके हथियार हम लूट लेते हैं तथा उस सामान को अपनी पार्टी में बांट लेते हैं और गरीबों की सेवा में लगा देते हैं तथा करना राम ने कहा कि मेरी जासूसी के अनुसार यहां के सेठों के पास अनाज के भंडार भरे पड़े हैं जिन पर गरीबो का हक है। उसको कोठों में भर रखा है।
हमारे प्रदेश में लोग भूखे मर रहे हैं अकाल पड़ा हुआ है लोगों की जान जा रही है और यह जमाखोर अंग्रेजों के लिए धन इकट्ठा कर रहे हैं तथा इस अनाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं इतनी बात सुनते ही डूंगजी के चेहरे पर और अधिक जोश आ गया तथा बड़े गुस्से से बोले यह सरकार बड़ी ही निर्दई है। आदमी के पास से बाजरी भाग रही है और जानवरों के पास से घास चारा के लिए चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है
हे करनाराम तुम और लोठू जाट दोनों जाओ रामगढ़ शहर की रेकी करो और देखो कि कौन किस के पास कितना माल है हम वहां उचित मात्रा में उस माल को अधिकृत करेंगे तथा गरीबों का ग्रास बनाएंगे इतना सुनते ही करना राम मीणा लोठू जाट अपना भेष बदलकर रामगढ़ सेठन पहुंच गए। सन 1837 के आसपास दोनों साथियों ने वहां ख्याल तमाशा करने का एक नाटक नट का भेष बनाया तथा बिल्कुल मदारी की तरह खेल रचाया घर-घर गली-गली मौला मौला चौराहा चौराहा घूम घूम कर के तमाशा दिखा रहे थे।
इसी बहाने इस बात का पता लगा रहे थे कि रामगढ़ में किस सेठ के पास कितना अनाज है की जांच पड़ताल करने के उपरांत उनको सेठों का पता चलाता है। यह भी वाकई पता चला कि यह पूरा अनाज अंग्रेज रेजिमेंट के लिए अजमेर भेजा जाएगा तथा यह संपूर्ण अनाज उन अंग्रेजों की सेना के लिए काम आएगा।
यह पूरी जासूसी करने के उपरांत लोठू राम जाट कानाराम मीणा अपने साथी जवाहर जी के पास पहुंचकर रामगढ़ के क्षेत्रों के अनाज के बारे में बताते हैं। उनकी बहुत सी ऊंटों की कतारें अजमेर की सीमा में प्रवेश होती हैं।
उससे पहले उनकी योजना के मुताबिक करना राम मीणा, सावता राम मीणा, लोठू जाट, डूंगजी, जवाहर जी राजपूत के द्वारा उनको लूटने की योजना बनाई जाती है ।परंतु अंग्रेजों की सेना की कतारें उनके बराबर चल रही थी इधर करनाराम की फौज सीमा के अनुसार उन पर सैनिकों को तैयार करते हैं।
सावता राम मीणा करना राम मीणा लोठू जाट बहरूपिया की पोशाक पहनकर अपने दल को बंदूके हाथों में देकर हथियारों सहित अपना मोर्चा संभाल कर एक जगह एकत्रित होकर संपूर्ण तैयारी के साथ अंग्रेजी ब्रिटिश सैनिकों को लूटने के लिए चल देते हैं यह आजादी के स्वतंत्रता के प्रेमी थे यह कोई भाड़े के टट्टू नहीं थे जो सस्ते में बिक जाते यह स्वतंत्रता के प्रेमी थे तथा देश की स्वतंत्रता के पहले सिपाही थे। अपने सभी साथियों को सुसज्जित हथियारों से लैस करके तथा अपने ऊंटों पर सवार होकर यह लोग ठीक समय पर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचकर अपना मोर्चा संभाल लिया तथा सेठों के ऊंटों की कतार ज्योंही उनके सामने से निकली सभी योद्धाओं ने उनको एक साथ घेर लिया था उसके कतार में से पहरेदार को डांट कर पूछा आप कौन है ।
जानते नहीं यह कम्पनी सरकार बहादुर का माल है।
करनाराम उस पहरेदार को घृणा की नजर से देखते हैं और कड़क कर कहा हो गोरों के कुत्ते।
अंग्रेजों के गुलाम
देश के दुश्मन
हमने इस कतार को क्यों घेरा है इसका पता अभी लग जाएगा।
पलों में इस अनाज के बारे में चारों और खबर फैल गई आसपास के गांव के भूखे लोग वहां जमा हो गए करनाराम की टीम में एक जयकारा लगाया और करनाराम ने सभी की तरफ इसारा किया । करनाराम के दल ने तलवारों से अनाज के भरे हुए बोरों को फाड़ दिया ।भूखी जनता एक साथ टूट पड़ी
झपट पड़ी..
लगातार….

लेखक तारा चंद मीणा चीता कंचनपुर श्रीमाधोपुर सीकर

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