अंक – 11 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है । शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-11
कचहरी में जब करना राम मीणा लोठू जाट के आपस में चर्चा हो रही थी उसी वक्त डूगजी की रानी गुस्से में आग बबूला होती हुई कचहरी में प्रवेश करती है तथा सभी को धमकी भरी आवाज में ताना मारते हुए कहती हैं कि तुम्हें शर्म आनी चाहिए तुम यहां मौज आनंद उड़ा रहे हो और आपका सरदार जेल की सलाखों में पड़ा सड़ रहा है ।इतना सुनते ही करना राम मीणा व लोठू जाट एक साथ बोले रानी सा हम भी यही कह रहे हैं परंतु हमारी बात तो यहां कोई सुनने वाला नहीं है लेकिन महारानी सा हम आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि ठाकुर डूंगजी को मैं और लोठू जाट दोनों ढूंढ लेंगे।
चाहे वह कहीं भी मिले ढूंढ़ निकालेंगे। रानी ने उसी समय एक लड़की को पान लगाकर लाने के लिए कहा थोड़ी देर में पान का थाल आ गया।
ठुकरानी ने सभी सरदारों की ओर देखकर कहा यह पान का बीड़ा वही उठाएगा जो डूंगजी को छुड़ा कर लाएगा । है कोई माई का लाल ,?
इस बेड़े को चबाने वाला है । नहीं रानी सा बड़े ही गुस्से के अंदर आवाज आती है। यह सुनते ही सभी सभा में बैठे हुए लोगों को अंदर सन्नाटा सा फैल गया सभी चुप हो गए सभी एक दूसरे की नजरों को देखकर पलके नीचे कर लेते हैं।ऐसा लग रहा था कि उस सभा में सभी को सांप ने सूंघ लिया हो ठकुरानी ने फिर देखा डूंगजी के भाई भतीजे उमराव और सगे संबंधी सभी बीमार लगने लगे ।उन्हें बुखार चढ़ आया तब दुख रानी ने कहा धिक्कार है आपसे परंतु पीछे से 2 जवानों की आवाज एक साथ आई रूकिए रानी साहिबा यह आवाज उनके दिलों की थी ।एक साथ दोनों वीर योद्धा करनाराम मीणा लोठू जाट शेर की तरह दहाड़ते हुए बोले महारानी आप सबको धिकारो मत ।यह पान का बीड़ा हम चबाते हैं ।हम प्रतिज्ञा करते हैं कि हम अपने सरदार को छुड़ा कर लाएंगे या मर जाएंगे ।धन्य है मीणा जाट आपकी बहादुरी को मैं सलाम करती हूं आप दोनों का आभार प्रकट करती हूं और वास्तव में आप हमारे राजाजी के हमारे ठाकुर साहब के सच्चे मित्र सच्चे दोस्त और सच्चे भाई हैं ।उस समय सभा में दारू की महफिल चल रही थी जिस समय यह वाकई या हो रहा था जिसको इस तरह गाया गया है सुनिए----------
लगातार…
लेखक तारा चंद्र मीणा चीता प्रधानाध्यापक कंचनपुर सीकर
नोट:-
साथियों गाए हुए गीत को जरूर सुनिएगा