अंक – 18 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है । शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-18
करनाराम ने लोठू जाट से कहा लोटिया आप तो किले में प्रवेश हेतु अपने सैनिकों में से ताकतवर को चुनो जो अपने साथ जेल तोड़ने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे तथा बहादुर साहसी और हिम्मत वाले हो उनको अपनी योजना के अनुसार तैयार करो और मैं किले में प्रवेश करने हेतु एक 80 फुट लंबी सीडी तैयार करता हूं जिससे हम किले की दीवार को फांद सकेंगे।
क्योंकि आज शहर में मोहर्रम का त्यौहार है ताजिया निकलने वाले हैं ताजियों की व्यवस्था करने के लिए किले में से बहुत सारे सिपाही मोहरम व्यवस्था हेतु चले गए हैं और अब हमें उनके पीछे से जेल पर हमला बोल देना है ।
इस बार यदि हम किला को नहीं तोड़ पायेंगे तो हमें ओर मौका नही मिलेगा।आज हार गए तो फिर हम नहीं जीत सकते ।लोटिया ने कहा मैं और जवाहर जी पहले जाएंगे इसके बाद आप सब लोग जैसे जैसे मौका मिले उसी हिसाब से किले में प्रवेश करना तब तक हम चारद्वारी की पट्टी पर खड़े रहेंगे आक्रमण बहुत तेजी से होना चाहिए सभी दल के सदस्य ने सीना ठोक कर कहा कि वे शत्रु को सांस भी नहीं लेने देंगे जब यह चारों किले की बुर्ज पर पहुंच गए तो छोटे-छोटे दलों में बंट गए । किले के प्रवेश के समय करुणा मीणा और लोटिया जाट ने वीर तेजाजी का ध्यान किया और डूंगजी वाली बुर्ज की तरफ चल दिए इनके जवान और जवाहर जी आदि आदि थे ।डूंगजी के पास पहुंचे लोटिया जाट ने जयकार कि करणा ने कहा बड़ी बड़ी बेड़ियों को काटो ।लोठू जाट व करना मीणा ने सूर्य देव का ध्यान करते हुए एक घड़ी के भीतर चार दिवारी पर सीडी लगा दी जिससे चुने हुए वीर किले में प्रवेश कर सके
इस तरह डूंगजी वाली बुर्ज के पास पहुंच गए और आवाज दी है डूंगजी बोलता है तो बोल बेड़ी काट दें। परन्तु डूंगजी ने अपने अन्य साथियों को आजाद कराने के लिए कहा तथा वहां पर सभी कैदियों को रिहा किया।
करनाराम के द्वारा बनाई सीडी जिसके ऊपर 5आदमी एक साथ किले से बाहर निकालने के लिए बनाई थी उसके ऊपर कैदी जेल से छूटते एक-दूसरे के बाद कैदी भाग छूटे और सब एक साथ उस पर आ गए जिससे सीढी टूट गई।
करणा ने कहा सीडी ने अपने को धोखा दिया अब दरवाजे की ओर चलो कह दिया तुमने खूब काम बिगाड़ दिया अब कोई भाटा ले लो कोई तलवार ले लो ,कोई बरछी ले लो एक साथ टूट पड़ो, कंधे से कंधा मिला दो तथा दुश्मन को छोड़ो मत आगरे के किले की इस जीत से करना राम मीणा और जाट का पूरे देश में नाम हो गया चारों और प्रसिद्धि फैल गई उसके नाम से नाम के गीत गाए जाने लगे बहुत से लोग काफी घटनाएं इन से प्रभावित होकर लिखी गई ।यह घटना लोगों की प्रेरणा स्रोत के रूप में लोगों के मानस पटल पर छा गई ।
शेर की तरह रहते थे कोई गीदड़ नहीं थे ।
इनको पकड़ने के लिए कमर कस ली छावनी छावनी थाना थाना में उनके फोटो लगा दी कप्तान दौड़ा सभी सेठ साहूकारों के नाम लंबे चौड़े पत्र लिखे गए राजा महाराजा को भी पत्र लिखा गया अंग्रेज अफसर ए जी जी द्वारा खत लिखने से बीकानेर के राजा ने ऊपर वाले मन से अपनी फौजियों को करनाराम के पीछे लगाया जोधपुर तक किसी ने भी अपनी फौज में जवानों की सहायता करना राम को पकड़ने के लिए लगाया बताया जाता है कि एजीजी ने उनके पीछे तीन ओर से बीकानेर के सीरोदड़ा गांव में स्वतंत्रता सेनानीयों को घेर लिया । करनाराम अपने साथी डूंगजी के साथ दुश्मनों से आमने सामने काफी देर तक मुठभेड़ हुई।उसके बाद उसने अपने साथियों से कहा तुम यहां से भाग जाओ हम फिर मौका देखकर फिर से बदला लेंगे करनाराम कहा आज मारे जाएंगे तो देश को बचाना मुश्किल है ।आज यहां से इनको मार काट के निकल लो।
यहां डूंगजी जवाहर जी अपने आपको अलग अलग कर दिया और उनके साथी वहां से युद्ध में मुकाबला करते हुए निकल गए।
लेखक तारा चंद मीणा चीता सीकर
नोट सम्पूर्ण जानकारी के लिए शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी नामक पुस्तक का अध्ययन करें