अंक- 20 में आप सभी महानुभावों का हार्दिक अभिनन्दन है। कप्तान वीर योद्धा रघुनाथ सिंह मीणा बागड़ी जागीरदार जयपुर भाग 2

एक बार आमेर के पहलवानी दंगल में कुश्ती का दंगल हो रहा था और वहां राजा माधव सिंह जी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। स्वयं महाराजा अपनी सेना के लिए योग्य जवान को ऐसे दंगलों को देखने के उपरांत चुनने की रूचि रखते थे।इसलिए इस दंगल को देखने की अधिक रूचि थी । यहां उचित स्थान पर अपना आसन ग्रहण करने के उपरांत महाराज श्री के आदेश से कुश्ती की शुरुआत का इंतजार ही था।
जब रघुनाथ जी के सामने बहुत ही ताकतवर पहलवान मैदान में उतरा चारों तरफ पहलवान की बहादुरी की प्रशंसा हो रही थी कि रघुनाथ सिंह इसके सामने कुछ भी नहीं है।
यह बहुत ताकतवर है और रघुनाथ सिंह को तुरंत परास्त कर देगा जब रघुनाथ सिंह से पहलवान से कुश्ती के दंगल में हाथ मिलाया और मंचासीन राजा माधव सिंह ने इशारे के माध्यम से कुश्ती की शुरुआत कराई पहलवानों के दांव पेंच चलते रहे जिसमें एक- दूसरे को पटकनी देने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे थे।
रघुनाथ जी की पहलवानी देखने योग्य थी लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट सभी दर्शकों के कानों में गूंज रही थी महाराजा माधव सिंह जी भी यह दृश्य देख रहे थे ।देखते -देखते ही रघुनाथ जी ने प्रतिद्वंदी पहलवान को ऐसी पटकनी मारी की पहलवान चित्त होकर परास्त हो गया ।चारों तरफ कुश्ती का दंगल पहलवान रघुनाथ जी के जयकारों से गूंजने लगा तथा राजा माधव सिंह अपने शुभचिंतकों के साथ इस दृश्य को देखकर बहुत ही अचंभित हुए तथा इस पहलवान को अपने साथ रखने के लिए उन्होंने अपने सलाहकारों को निर्देश दिया तथा इसी के साथ उन्होंने अपने रियासत के वरिष्ठ सलाहकारों से सलाह मशवरा करके रघुनाथ सिंह को अपने राज्य के नीति-निर्माताओं में शामिल करके हमेशा अपने साथ रखने लगे । अपने दल का मुख्य सदस्य समझकर उनसे हमेशा राज्य के हित में चर्चा करते रहते थे जैसे आजकल मोदी सरकार में सीधे ही संयुक्त सचिव बनाया जाकर उनको उस मंत्रालय की बागडोर सौंपी जा रही है ,उसी अनुरूप उनको रियासत की सुरक्षा की विशेष जिम्मेदारी सौंपी।
लगातार——-
निवेदक
लेखक तारा चंद मीणा “चीता” कंचनपुर सीकर

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