अंक – 12 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है । शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-12

दोनों वीर जवान अपने साथी डूंगजी की तलाश में चल पड़ते हैं
आगरे ने चाल्यो करणियों मीणो, लोठू जाट ज्यूं लंका हणमान।
के ल्यावेलो खबर डूंगजी की, कै त्यागे लो प्राण ।
करनाराम व लोठू जाट अपने-अपने ऊंट से सवार होकर आगरा पहुंच गए और वहां बाजार में पहुंचने के बाद विचार विमर्श करने लगे कि हम किस तरह कीले तक पहुंच सकते हैं ।
जहां आगरा के किले में डूंगजी कैद था, क्या उपाय करें इस तरह के काफी विचार-विमर्श अपने मन मस्तिष्क में करते हैं काफी विचार विमर्श करने के उपरांत करना राम मीणा के दिमाग में अचानक विचार आता है कि भाई लोठू एक काम करते हैं हम अपने ऊंटों को तो बेच देते हैं और बाजार से भगवा वस्त्र लेकर आते हैं तथा साधु का भेष धारण करते हैं अपना धूणा किले के गेट के पास लगाते हैं जिससे कोई जानकारी मिल सके इसलिए लोठू आप तो बाबाजी का वेश धारण करो मैं आपका चेला बन जाता हूं जिससे मैं मेरी विद्या से किले की जासूसी करता रहूंगा और अपना गुजारा भी चलाता रहूंगा लोटिया जाट ने कहा करना आप अक्ल में बहुत होशियार हो ।
जैसा आप कहते हैं वैसे ही करेंगे इस तरह दोनों आपस में बातचीत करके वापस आकर आगरे के किले के दरवाजे के पास बाबाजी का धूणा लगा लिया और लोठू जाट बाबा बन गया और करणाराम मीणा चेला बन गया।
किले के पास एक अंग्रेज सिपाही कुछ सिपाहियों को लेकर आता है और अपने अधिकारी को कहता है कि आज अपने किले के पास दो साधु आए हुए हैं उन्होंने किले के सामने ही अपना धूणा जमा दिया है ।
बाबा के रूप में लोठू आगजनी के बीच योगी की तरह हठ करके बैठ गया ।
मीणा चमत्कारी बाबा का चेला बन कर उसका प्रचार करने लगा वहां लोग आने जाने लगे।
चंद ही दिनों में बाबा के चमत्कारों का प्रचार प्रसार होने लगा।
किले के आसपास से चर्चा फैल गई कि बाबा मरे हुए को जिंदा कर सकता है वह चुटकी के साथ ही दुख दूर कर देता है एक दिन एक अंग्रेजी अफसर आया उसके साथ अंग्रेज और हिंदुस्तानी सिपाही थे अंग्रेज अफसर ने बाबा को देखा तो बोला बाबा यहां से चले जाओ यह हमारा किला है ।
इसमें चोर डाकू बंदी है लोटिया जाट हंसा और बोला कौन चोर है और कौन डाकू है यह तो ईश्वर ही जाने ।
पर तुम कल तक जरूर कोई चमत्कार देखोगे?
इस पर अंग्रेज अफसर बोला हम चमत्कार देखेगा तो तुम को नमस्कार करेगा ।
अंग्रेज अफसर जोर से चिल्लाया और बाबा जी को धमकाते हुए बोले कि तुम यहां से चले जाओ ।
अन्यथा मैं तुम्हें कैद के अंदर डाल दूंगा
क्या चमत्कार दिखाएगा तेरा चमत्कार में जेल के अंदर निकाल दूंगा।
बाबा बाबा करता है ।
लौठू बाबा ने तेज आवाज के साथ कहा अरे अंग्रेज क्या मुझे सिखाता है मैं तुझे चमत्कार दिखाऊंगा ।
इतनी सुनते ही करना राम मीणा बोला हमारे बाबाजी से आपने पंगा लिया है आपको इसका हर्जाना भुगतना पड़ेगा अंग्रेज अफसर के साथ जो सिपाही आए थे उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी बाबा बड़े खतरनाक होते हैं इन्होंने जो कह दिया उसका श्राप लगेगा ।
यह अधिकारी महोदय आप बाबा से पंगा मत लो इतनी देर में करना मीणा ने अपने दिमाग से उसी से काम लेते वहां खड़े एक सिपाही की ओर देखकर कहा
क्यों भाई अनवर क्या तेरी बीवी को बाबा ने ठीक नहीं किया ।
इस तरह बाबा जी की सेवा भी करता है आने जाने वाले लोगों पर अपनी नजर रखता था साथ ही भिक्षा के नाम पर किले के आसपास भिक्षा मांगता था। जिससे जासूसी करने की जिम्मेदारी पूरी हो सके।
किला की जेल तोड़ने के उपरांत भागना पड़ा तो सीधा रास्ता कौन सा रहेगा।उसका रोज का काम जासूसी करना और सभी खबर रात को बताना।आपस में दोनों दोस्त रात को विचार विमर्श करते थे कि किले में कैसे प्रवेश किया जाए जिस पर दोनों रात को चिंतन मनन करते थे। इसके साथ बाबा जी की महिमा का वर्णन लोगों तक पहुंचता था।जिससे लोगों को और पुलिस को शक नहीं हो कि यह कोई जासूस है।करणा मीणा दिन में गली-गली घूमता और बाबा के चमत्कारों का वर्णन आगरा के शहर में करता था। यह कार्य व रोज करने लगा जब उनको महसूस हो गया कि अब अपने को महल में प्रवेश करना चाहिए। अपनी विद्या से महल में प्रवेश कैसे करते हैं ।
लगातार ——–
लेखक ताराचंद मीणा चीता प्रधानाध्यापक कंचनपुर सीकर

शेखावाटी के वीर स्वतंत्रता सेनानी नामक पुस्तक का अध्ययन कीजिए

अंक – 11 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है । शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-11

कचहरी में जब करना राम मीणा लोठू जाट के आपस में चर्चा हो रही थी उसी वक्त डूगजी की रानी गुस्से में आग बबूला होती हुई कचहरी में प्रवेश करती है तथा सभी को धमकी भरी आवाज में ताना मारते हुए कहती हैं कि तुम्हें शर्म आनी चाहिए तुम यहां मौज आनंद उड़ा रहे हो और आपका सरदार जेल की सलाखों में पड़ा सड़ रहा है ।इतना सुनते ही करना राम मीणा व लोठू जाट एक साथ बोले रानी सा हम भी यही कह रहे हैं परंतु हमारी बात तो यहां कोई सुनने वाला नहीं है लेकिन महारानी सा हम आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि ठाकुर डूंगजी को मैं और लोठू जाट दोनों ढूंढ लेंगे।
चाहे वह कहीं भी मिले ढूंढ़ निकालेंगे। रानी ने उसी समय एक लड़की को पान लगाकर लाने के लिए कहा थोड़ी देर में पान का थाल आ गया।
ठुकरानी ने सभी सरदारों की ओर देखकर कहा यह पान का बीड़ा वही उठाएगा जो डूंगजी को छुड़ा कर लाएगा । है कोई माई का लाल ,?
इस बेड़े को चबाने वाला है । नहीं रानी सा बड़े ही गुस्से के अंदर आवाज आती है। यह सुनते ही सभी सभा में बैठे हुए लोगों को अंदर सन्नाटा सा फैल गया सभी चुप हो गए सभी एक दूसरे की नजरों को देखकर पलके नीचे कर लेते हैं।ऐसा लग रहा था कि उस सभा में सभी को सांप ने सूंघ लिया हो ठकुरानी ने फिर देखा डूंगजी के भाई भतीजे उमराव और सगे संबंधी सभी बीमार लगने लगे ।उन्हें बुखार चढ़ आया तब दुख रानी ने कहा धिक्कार है आपसे परंतु पीछे से 2 जवानों की आवाज एक साथ आई रूकिए रानी साहिबा यह आवाज उनके दिलों की थी ।एक साथ दोनों वीर योद्धा करनाराम मीणा लोठू जाट शेर की तरह दहाड़ते हुए बोले महारानी आप सबको धिकारो मत ।यह पान का बीड़ा हम चबाते हैं ।हम प्रतिज्ञा करते हैं कि हम अपने सरदार को छुड़ा कर लाएंगे या मर जाएंगे ।धन्य है मीणा जाट आपकी बहादुरी को मैं सलाम करती हूं आप दोनों का आभार प्रकट करती हूं और वास्तव में आप हमारे राजाजी के हमारे ठाकुर साहब के सच्चे मित्र सच्चे दोस्त और सच्चे भाई हैं ।उस समय सभा में दारू की महफिल चल रही थी जिस समय यह वाकई या हो रहा था जिसको इस तरह गाया गया है सुनिए----------
लगातार…
लेखक तारा चंद्र मीणा चीता प्रधानाध्यापक कंचनपुर सीकर

नोट:-
साथियों गाए हुए गीत को जरूर सुनिएगा

अंक – 10 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है । शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-10

डूग न्हार री कोटड़ाया जुड़ी कचेड़ी आय।
जाजम ऊपर जाजम बिछ रही खूब पड़े रजवाड़।
लोटयो जाट करणियो मीणो डूंगरसिंह सरदार।
तीनों मिल भेळा हुवै, तो करें तीसरी बात ।
बोल्यो सरदार डुंगसिंह ,तू सुन रे लोटिया जाट।
मीनखां नीठगी मोठ बाजरी ,घोड़ा निठग्यो घास।
मर्दा में तू मर्द आगलो हेररियो तू लाट।
रामगढ़ की हेर लगा दे ,जद जाणू तोय जाट ।
लोटो जाट करणियों मीणो, ज्यां रौ व्हालो मेळ।
डूंग न्यार री भरी कचेड़या लीनी बात सकेल।
करणियो मीणो लोटियो जाट, अकला मांय उजीर।

भेष पलट बै चल्या, रामगढ़ जाणू छूट्या तीर ।
लोटयो लीनी ढोलकी कोई करणियो मीणो लीन्यो बांस।
घर-घर घालै ख्याल है तमाशा घर घर भाले माल।।
बठोठ की बारादरी में जवाहर सिंह ने होली का त्योहार मनाने की मन में सोची उसने सभी अपने दल के लोगों को बालू नाई के द्वारा सभी को आमंत्रित किया गया ।
बालू नाई बहुत ही गोपनीय तरीके से सभी सरदारों को एकत्रित करता था ज्यों ही सभी को बुलावा दिया गया देखते देखते जो जाजम बिछाई गई थी उस पर सभी लोग आने लगे ।
देखा गया कि कई उस टीम में चापलूस खाने पीने वाले मौज उड़ाने वाले भी आए थे ।जवाहर सिंह ने करण्या मीणा और लोटिया जाट को विशेष तौर से बुलाया था वहां महफिल सजने लगी मुजरें होने लगे तथा अंग्रेज तथा उनके पक्ष के लोगों के प्रति बातें होने लगी तथा किसी भी तरह से अंग्रेजों द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने की चर्चा होने लगी। सभी तरह की बातें सुनने के उपरांत सभी सरदारों को शराब के नशे में मदहोश देखते हुए करना राम मीणा बहुत ही उदास हो रहे थे।
क्योंकि उनके साथी डूंगर जी को अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया था तो उनको अपने साथी की याद आ रही थी ।जब करना राम मीणा को उदास देखते हुए लोठू जाट ने देखा तो बोला मीणा सरदार आप उदास कैसे हैं आज तो हम त्यौहार मना रहे हैं जब तपाक से करना राम मीणा बोलता है
हमारा मित्र हमारे दल का नेता हथकड़ियों में तड़प रहा है ।
वह जेल की सलाखों में पड़ा है।
मैं मेरे दल के साथी को उस हालात में देख कर आज इस महफिल का आनंद नहीं ले सकता । हे लोठू जाट मैं तो यह कहता हूं कि जवाहर जी को सोचना चाहिए था कि यह घड़ी, यह समय महफिले करने का नहीं।त्यौहार मनाने का नहीं ।हमारे दल का साथी जेल के सलाखों में तड़प रहा है तथा यह जवाहर जी आज महफिल सजा रहे हैं।दोनों दोस्त मित्र जवाहर जी को समझाते हैं कि यह समय आनंद करने का महफिल मनाने का नहीं है।
हमें अपने साथी सरदार ठाकुर डूंगर सिंह जी को छुड़ाने की सोचनी चाहिए।परंतु जवाहर सिंह जी को शराब का कुछ नशा चढ़ गया था उन्होंने दोनों दोस्तों को कहा
खून की गर्मी को तेज करते हुए
अरे मीणा सरदार मुझे ज्ञान देने की जरूरत नहीं है कहा गया है
जो जीवित है उनके जतन करने ही पड़ेंगे। त्योहार सुखा नहीं जाना चाहिए।त्योहार की खुशी मनानी चाहिए। आप महफिल करो फिर देखेंगे
उसका क्या करना है ।करना राम मीणा ने कहा हे सरदार हम हमारे दल के नेता के बिना इस महफिल में शामिल नहीं होना चाहेंगे और हमें यह त्यौहार मनाना अच्छा भी नहीं लगता है।
देखने वाले लोग हमें स्वार्थी कहेंगे तभी वहां विराजमान अन्य दल के सरदारों ने मीणा और जाट की बात का समर्थन करते हुए कहा कि यह दोनों योद्धा सही कह रहे हैं ।परंतु वहां कुछ राजपूत भी थे ।उन्होंने कहा की योद्धा का गौरव कैद में बढ़ता है और वीर योद्धा मरने पर भी अमर कहलाता है ।
योद्धा की असली पहचान उसकी वीरता। उसकी बहादुरी में है और वह अपने रिश्तेदार अपनी जनता अपने सखा को सुखी देखकर भी अपने प्राण त्याग देता है लेकिन करनाराम ने कहा यह सरदार जवाहर सिंह हम यह नहीं चाहते कि हमारा सरदार आपका भाई है जेल की यातना भोग रहा हो और हम सब यहां आनंद मना रहे हो हम यह नहीं चाहते। हम आपको आगाज करते हैं कि आप आज की रात को एक ऐसा फैसला लें जिससे हम जहां भी हमारा सरदार डूंग सिंह जिस जेल में भी है उसको हम वहां से निकाले।

लगातार ————
लेखक तारा चंद मीणा चीता प्रधानाध्यापक कंचनपुर सीकर

अंक – 9 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है। शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-9

इतना सुनते ही डूंगजी गुस्से से लाल पीला होकर बोले वे राजा हैं और हम तलवार बंद सैनिक। हम क्या कर सकते हैं डूंगरी का स्वर सुनते ही करना राम मीणा ने जमीन पर थाप मारते हुए और गुस्से में लाल पीले होते हुए कहा ठाकुर साहब उठाओ तलवार!
कमर कस लो दल बना लो तथा अंग्रेजों को लूट कर ,मार काट कर देश के बाहर कर दो ।क्या देखते हो अंग्रेजों की फौज गांव के बाहर आ गई है अपने गढ़ को चारों तरफ से घेर लिया है यदि हम उनके सामने लड़ाई लड़ेंगे तो रोक नहीं पाएंगे क्योंकि उनकी तुलना में अपने पास सैनिक कम हैं अपने तो एक काम करो गढ़ को छोड़ दो और बाहर चलो हम उनकी छावनी को लूटेंगे उनका खजाना लुटेंगे रात दिन जहां पर भी मौका मिलेगा वही उनको तंग करेंगे इनको देश से निकलने पर मजबूर कर देंगे।
सभी साथियों ने करना राम मीणा की बात में हां में हां मिलाई और अंग्रेजों को देश से निकालने की योजना बनाने लगे उसी वक्त कानाराम कहता है कि मुझे सूचना मिली है कि शेखावाटी के काकड़ पर अंग्रेजों की फौज ने ठहराव किया है। उनके घोड़े ऊंट कतारों में माल सभी उनके साथ चल रहे हैं मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि आज की रात अपने दल के साथ अंग्रेजों की छावनी पर एक साथ अपना धावा बोलते हैं और अचानक उनको आभास भी न होने दें उनके घोड़े उनका खजाना उनके हथियार हम लूट लेते हैं तथा उस सामान को अपनी पार्टी में बांट लेते हैं और गरीबों की सेवा में लगा देते हैं तथा करना राम ने कहा कि मेरी जासूसी के अनुसार यहां के सेठों के पास अनाज के भंडार भरे पड़े हैं जिन पर गरीबो का हक है। उसको कोठों में भर रखा है।
हमारे प्रदेश में लोग भूखे मर रहे हैं अकाल पड़ा हुआ है लोगों की जान जा रही है और यह जमाखोर अंग्रेजों के लिए धन इकट्ठा कर रहे हैं तथा इस अनाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं इतनी बात सुनते ही डूंगजी के चेहरे पर और अधिक जोश आ गया तथा बड़े गुस्से से बोले यह सरकार बड़ी ही निर्दई है। आदमी के पास से बाजरी भाग रही है और जानवरों के पास से घास चारा के लिए चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है
हे करनाराम तुम और लोठू जाट दोनों जाओ रामगढ़ शहर की रेकी करो और देखो कि कौन किस के पास कितना माल है हम वहां उचित मात्रा में उस माल को अधिकृत करेंगे तथा गरीबों का ग्रास बनाएंगे इतना सुनते ही करना राम मीणा लोठू जाट अपना भेष बदलकर रामगढ़ सेठन पहुंच गए। सन 1837 के आसपास दोनों साथियों ने वहां ख्याल तमाशा करने का एक नाटक नट का भेष बनाया तथा बिल्कुल मदारी की तरह खेल रचाया घर-घर गली-गली मौला मौला चौराहा चौराहा घूम घूम कर के तमाशा दिखा रहे थे।
इसी बहाने इस बात का पता लगा रहे थे कि रामगढ़ में किस सेठ के पास कितना अनाज है की जांच पड़ताल करने के उपरांत उनको सेठों का पता चलाता है। यह भी वाकई पता चला कि यह पूरा अनाज अंग्रेज रेजिमेंट के लिए अजमेर भेजा जाएगा तथा यह संपूर्ण अनाज उन अंग्रेजों की सेना के लिए काम आएगा।
यह पूरी जासूसी करने के उपरांत लोठू राम जाट कानाराम मीणा अपने साथी जवाहर जी के पास पहुंचकर रामगढ़ के क्षेत्रों के अनाज के बारे में बताते हैं। उनकी बहुत सी ऊंटों की कतारें अजमेर की सीमा में प्रवेश होती हैं।
उससे पहले उनकी योजना के मुताबिक करना राम मीणा, सावता राम मीणा, लोठू जाट, डूंगजी, जवाहर जी राजपूत के द्वारा उनको लूटने की योजना बनाई जाती है ।परंतु अंग्रेजों की सेना की कतारें उनके बराबर चल रही थी इधर करनाराम की फौज सीमा के अनुसार उन पर सैनिकों को तैयार करते हैं।
सावता राम मीणा करना राम मीणा लोठू जाट बहरूपिया की पोशाक पहनकर अपने दल को बंदूके हाथों में देकर हथियारों सहित अपना मोर्चा संभाल कर एक जगह एकत्रित होकर संपूर्ण तैयारी के साथ अंग्रेजी ब्रिटिश सैनिकों को लूटने के लिए चल देते हैं यह आजादी के स्वतंत्रता के प्रेमी थे यह कोई भाड़े के टट्टू नहीं थे जो सस्ते में बिक जाते यह स्वतंत्रता के प्रेमी थे तथा देश की स्वतंत्रता के पहले सिपाही थे। अपने सभी साथियों को सुसज्जित हथियारों से लैस करके तथा अपने ऊंटों पर सवार होकर यह लोग ठीक समय पर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचकर अपना मोर्चा संभाल लिया तथा सेठों के ऊंटों की कतार ज्योंही उनके सामने से निकली सभी योद्धाओं ने उनको एक साथ घेर लिया था उसके कतार में से पहरेदार को डांट कर पूछा आप कौन है ।
जानते नहीं यह कम्पनी सरकार बहादुर का माल है।
करनाराम उस पहरेदार को घृणा की नजर से देखते हैं और कड़क कर कहा हो गोरों के कुत्ते।
अंग्रेजों के गुलाम
देश के दुश्मन
हमने इस कतार को क्यों घेरा है इसका पता अभी लग जाएगा।
पलों में इस अनाज के बारे में चारों और खबर फैल गई आसपास के गांव के भूखे लोग वहां जमा हो गए करनाराम की टीम में एक जयकारा लगाया और करनाराम ने सभी की तरफ इसारा किया । करनाराम के दल ने तलवारों से अनाज के भरे हुए बोरों को फाड़ दिया ।भूखी जनता एक साथ टूट पड़ी
झपट पड़ी..
लगातार….

लेखक तारा चंद मीणा चीता कंचनपुर श्रीमाधोपुर सीकर