अंक – 13 में आप सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन है । शेखावाटी के स्वतंत्रता सेनानी श्री सांवताराम मीणा, श्री करनाराम मीणा, श्री डूंगजी शेखावत, श्री जवाहर जी शेखावत और वीर लोठू जाट भाग-13

करना राम मीणा के द्वारा आगरा के किले का अवलोकन करना,करना राम मीणा और लोटिया जाट दोनों किले में प्रवेश करते हैं अंग्रेज अधिकारी ब्लॉकिंग ने बड़ी श्रद्धा से किले को अच्छी तरह दिखाया।करना राम मीणा ने रास्तों का बड़ी बारीकी से अध्ययन किया। बाबा लोठू जाट ने अंग्रेज अफसर को अपनी बातों में उलझाए रखा,इधर करनाराम मीणा किले की संपूर्ण चारदीवारी झरोखे सीढ़ियां और बाहर निकलने के गुप्त रास्ते आदि का अवलोकन कर रहा था। किले के अंदर कितने पहरेदार सादा वर्दी में हैं तथा कितने बंदूकधारी हैं और कौन-कौन सी जगह खड़े होते हैं उनकी अच्छी तरह से देखभाल कर रहा था। जब संत महात्माओं के गेरुआ वस्त्र पहने बाबाजी के वेश में पीले वस्त्र पहने हुए बलिष्ठ शरीर के चेहरे पर चमक था। जिससे उनका चेहरा सूर्य की भांति चमक रहा था जिससे सभी चौकीदार रास्ते में मिलने वाले उनको दुआ सलाम ही कर रहे थे और गुरु चेला को आगे से आगे रास्ता दिखा रहे थे।
कोई भी उनको रास्ते में रोक नहीं रहा था कोई टीका टिप्पणी नहीं कर रहा था। जिस तरह से हनुमान जी माता सीता को लंका से तलाश कर लंका की गहन जानकारी लाकर अपने नेता सुग्रीव को दी थी ।अपनी जान पर खेलकर उसी तरह करना राम मीणा अपने साथी डूंगजी की तलाश आगरा के किले की जेल में करके वापिस प्रस्थान के लिए तैयार हुए अपने पितांबर पीले वस्त्र साधु वेश मां यमुना के जल में बहाकर मां से आगामी योजना में सफलता का आशीर्वाद लेकर वहां से प्रस्थान किया। सीधे आगरे के पशु मेले में आए जहां रोज पशुओं की बिक्री होती थी वहां अपनी मनपसंद की एक-एक ऊंटनी खरीदी जो तेज धावक थी तब हवा से बातें करती थी क्योंकि पैसे कि उनके पास कोई कमी नहीं थी।इसलिए अपनी पारखी से बढ़िया ऊंटनी ढूंढ कर खरीद कर प्रस्थान किया। लगभग 250 किलोमीटर का रास्ता उन्होंने रात भर में तय कर लिया और सीधे ही डूंगजी के यहां पहुंचे। करनाराम मीणा पहुंचे उनके आने की खबर सुनते ही उनकी रानी व बेटा और जवाहर जी आ पहुंचे बड़ी बेचैनी से पूछा कि ठाकुर साहब कैसे हैं आप दोनों से मिले थे क्या ?
डूंगजी का छोटा सा बेटा राजकुमार लोठू जाट की धोती पकड़कर बोला चाचा चाचा मेरे कवंर सा कहां है ।
बताओ आपने उन्हें कहीं देखा क्या।
उधर जवाहर सिंह करना राम डूंगजी के विषय में पूछते हैं बड़ी बेचैनी से पूछ रहे हैं ।उत्सुकता के पूछ रहे हैं और तब करनाराम व लोठू जाट आपस में लंबी सांस ली उनकी आंखें गीली हो गई ।
वे दुख भरे स्वर में बोले ठुकरानी जी रानी सा! डूंगजी राजी खुशी हैं पर इस जीवन से तो मौत भली उनका शरीर हथकड़ी वीडियो और तोख जंजीर काट कोरड़ा में जकड़ा हुआ है वह सिंह ! बड़े ही दुख की बात है कि उन्हें कुछ दिनों के बाद काला पानी भेज दिया जाएगा जहां से वे क्या उनकी मिट्टी भी कभी नहीं आएगी ।रानी सा यह सुनते ही सुबक सुबक कर रोने लगी उसके साथ डूंगजी का फूल सा राजकुमार भी रोने लग गया ।करनाराम व लोठू जाट की आंखें भर आई ।बड़ी देर के बाद रानी बोली अब क्या होगा करना राम मीणा लोठू जाट दोनों एक साथ बोले रानी सा हम अपनी जान पर खेल कर भी हमारे सरदार को छुड़ाने की हमने प्रतिज्ञा ले ली है ।तब जवाब में डूंगजी की रानी कहा मगर कैसे!
अब अवसर आया है कि हम अपने साथियों संबंधियों सैनिकों एवं अपने दल के सभी सदस्यों की परीक्षा लें।
करना राम ने कहा इतने में बालक, कुमार, करनाराम से पूछता है चाचा चाचा यह काठ कोरडा क्या होता है मैंने हथकड़ी बेड़िया आदि से सजा देने का नाम तो सुना है परंतु काठ कोरड़ा क्या होता है !
यह कैसा होता है!
इसके विषय में जरा मुझे समझाओ मेरे बापू को ऐसी कौन सी सजा दे रखी है मेरे कंवरसा को ऐसी कौन सी सजा दे रखी है
लगातार…….
लेखक तारा चंद मीणा चीता कंचनपुर सीकर

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